Jain dharm in hindi : जैन धर्म क्या है ? इसके संस्थापक कौन थे ? इससे जुडी महत्वपूर्ण बाते जाने इस ब्लॉग में। Best Explained !

Jain dharm in hindi : आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि जैन धर्म के संस्थापक कौन है तथा जैन धर्म के बारे में विस्तार से जानेंगे और इससे जुड़े हर प्रश्न जो SSC , SSC CGL, UPSC , UPPCS आदि Competition exams में पूछे जाते हैं तो चलिए जानते हैं इस ब्लॉग के जरिए।

Table of Contents

जैन धर्म के संस्थापक ?

  • जैन धर्म अपनी इच्छाओं को नियंत्रित कर उस पर विजय या सफलता पाना जैन धर्म का समावेश है।
  • जैन शब्द की उत्पत्ति जीन से हुई है और इसका तात्पर्य है विजेता
  • जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे।
  • ऋषभदेव को जैन धर्म का प्रथम तीर्थंकर भी कहा जाता है।
  • जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर थे जिनमें से अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी जी थे।

महावीर स्वामी /वर्धमान

  • महावीर स्वामी/ वर्धमान का जन्म 540 ईसवी पूर्व में कुंडल ग्राम वैशाली में हुआ था।
  • इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था जो कुंडल ग्राम के राजा थे। 
  • महावीर स्वामी के माता का नाम त्रिशला था उनकी माता लिच्छवी राजा चेतक की बहन थी।
  • महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था 
  • उनकी पत्नी का नाम यशोदा था महावीर स्वामी के पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियदर्शनी था।
  • स्वामी 30 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़कर यात्रा पर निकल पड़े।
  • महावीर स्वामी को ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए ज्ञान प्राप्त हुआ था।
  • 42 वर्ष की आयु में इन्हें जीवन की सत्यता अर्थात केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होंने अपने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश पावा( पटना के निकट)  में दिया था ।
  • ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्हें महावीर यानी महानायक की उपाधि प्रदान की गई थी।
  • स्वामी को ज्ञान प्राप्ति के बाद जितेंद्रिय अर्थात अपनी इंद्रियों पर विजय पाने वाला कहा गया।
  • महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे।
  • महावीर स्वामी की मृत्यु 468 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में बिहार के पावापुरी में देहांत हो गया था 
  • जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे
  • जैन धर्म के द्वितीय तीर्थंकर अजीतनाथ थे।
  • जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्व थे।
Jain dharm
Jain dharm

जैन समितियां - ( Jain dharm in hindi )

प्रथम जैन समिति

तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व में यह पाटलिपुत्र में आयोजित किया गया था और इस समिति की अध्यक्षता स्थूलभद्र ने की थी।

द्वितीय बौद्ध संगति

इस संगति को 512 ईसवी पूर्व में आयोजित की गई थी यह वल्लभी (गुजरात)  में आयोजित की गई थी और इस समिति की अध्यक्षता क्षमाश्रवण ने की थी।

जैन धर्म की शिक्षाएं

  • जैन धर्म की शिक्षाओं में महावीर स्वामी ने एक सही मार्ग वी जैन धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को संसार को सिखाया जिसमें त्याग तपस्या और नैतिकता को विकसित करने पर अत्यधिक ज्यादा बल देने का प्रयास किया।
  • उनकी शिक्षा में विशेष रूप से यह ध्यान दिया गया हो कि किसी भी प्राणी को हानि न पहुंचा जाए
  • जैन धर्म का मौलिक सिद्धांत अनेकांतवाद है।

जैन धर्म में तीन रत्न मार्ग को बताया गया है –

  1. सम्यक दर्शन अर्थात सही विश्वास 
  2. सम्यक ज्ञान अर्थात सही ज्ञान
  3. सम्यक चारित्र

जैन धर्म ( Jain dharm ) में इन पांच चीजों का पालन करने पर जोर दिया गया है

  • अहिंसा हिंसा अर्थात नहीं करना।
  • सत्य अर्थात सच्चाई।
  • अस्तेय  चोरी ना करना।
  • अपरिग्रह उपार्जन न करना।
  • ब्रह्मचर्य जीवन में संयम रखना।

जैन धर्म ( Jain dharm ) में संप्रदायों में 8 प्रतीक चिन्ह है। -

स्वास्तिक ,नंदवर्त, दर्पण,कलश इत्यादि।

जैन धर्म दो प्रमुख शाखों में बांटा हुआ था -

दिगंबर : दिगंबर संप्रदाय के भिक्षु वेस्टन को नहीं धारण करते थे।
और जो महिला भिक्षु दिगंबर संप्रदाय की थी वह बिना सिली हुई सफ़ेद साड़ी पहनती थी।
भद्रबाहु दिगंबर संप्रदाय के प्रतिपादक थे।

श्वेताबर : श्वेतांबर संप्रदाय के लोग सफेद वस्त्र धारण करते थे।
पीतांबर संप्रदाय के लोग पार्श्वनाथ के उपदेशों पर चलते थे।

जैन ध्वज ( Jain Flag )

jain flag
Jain dharm flag
  • जैन धर्म के ध्वज में पांच रंगों का समायोजन है।
  • जिसमें लाल, पीला ,सफेद, हरा और गहरा नीला है।
  • यह सभी रंग 24 तीर्थंकर से जुड़े हुए रंग हैं
  • यदि आप ध्वज को देखेंगे तो ध्वज के बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बना हुआ है।
  • यदि आप स्वास्तिक के ऊपर देखते हैं तो वहां पर तीन बिंदु बना हुआ है जो जैन धर्म के तीन रत्न का प्रतिनिधित्व करता है।
  • इन तीन बिंदुओं के ऊपर वक्र सिद्ध शिला बना हुआ है।

निष्कर्ष - ( Conclusion )

आशा करते हैं आप सभी को Jain dharm से संबंधित जो भी प्रश्न है वह सभी इस ब्लॉग के जरिए जान चुके होंगे। यदि आप इन सभी प्रश्नों को ठीक प्रकार से ध्यान से पढ़ते हैं तो किसी भी Competition exam में आप आसानी से जैन धर्म से जुड़े प्रश्नों को हल कर सकते हैं, फिर मिलते हैं एक नए टॉपिक के साथ तब तक के लिए आप अपना ख्याल रखिए।

धन्यवाद!

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